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कानपुर: 70 साल के बीमार पिता को गोद में लेकर भटकता रहा बेटा, अस्पताल में मिली सिर्फ बेरूखी!

कानपुर: 70 साल के बीमार पिता को गोद में लेकर भटकता रहा बेटा, अस्पताल में मिली सिर्फ बेरूखी!

कानपुर कानपुर के हैलट अस्पताल में शर्मनाक दृश्य सामने आए हैं, जहां एक बेटा अपने 70 साल के बीमार पिता को गोद में लेकर इलाज के लिए भटकता रहा। न तो उसे स्ट्रेचर मिला और न ही किसी वार्ड बॉय ने मदद की। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।


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वीडियो में क्या है?

वीडियो में देखा जा सकता है कि शुक्लागंज के रहने वाले अरविंद अपने पिता श्याम सुंदर को गोद में लेकर हैलट अस्पताल के गलियारों में घूम रहे हैं। श्याम सुंदर बीमार हैं और चलने-फिरने में असमर्थ हैं। अरविंद उन्हें डॉक्टरों के पास ले जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिल पा रहा है।


क्या कहते हैं अरविंद?

अरविंद बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता का इलाज पहले स्थानीय अस्पताल में कराया था, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। दो हफ्तों से उन्होंने खाना-पीना भी छोड़ दिया था और चलना-फिरना भी बंद कर दिया था। इसके बाद परिजन उन्हें हैलट अस्पताल लाए थे। डॉक्टर ने उन्हें एचआईवी जांच कराने के लिए कहा, जो मेडिकल कॉलेज परिसर में होती है। लेकिन जब उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला तो उन्हें मजबूरन अपने पिता को गोद में लेकर चलना पड़ा।


प्रमुख सचिव मौजूद थे, फिर भी...

हैरानी की बात यह है कि जब यह घटना हुई, उस समय स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा भी मेडिकल कॉलेज में मौजूद थे। इसके बावजूद किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।


सपा ने उठाया सवाल

इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। सपा ने कहा कि यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है और आम जनता त्रस्त है।


क्या कहता है अस्पताल प्रशासन?

इस मामले पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला का कहना है कि यह घटना ब्लॉक हॉस्पिटल के दूसरी तरफ सड़क पार हुई थी, जो मेडिकल कॉलेज का हिस्सा नहीं है। वहां व्हील चेयर या स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं होती है।


क्या है इसका समाधान?

इस घटना से यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां उजागर हुई हैं। जरूरी है कि अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं और स्टाफ को भी मानवीय व्यवहार करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।


यह घटना एक बार फिर यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली पर सवालिया निशान लगाती है। हमें उम्मीद है कि सरकार इस मामले पर संज्ञान लेगी और जल्द से जल्द उचित कदम उठाएगी।

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