बसपा को नहीं मिला आकाश, BSP को सबसे अधिक सपा ने लगाई सेंध
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को करारी हार का सामना करना पड़ा। पार्टी का कोई भी उम्मीदवार जीत तो दूर, दूसरे स्थान पर आने लायक वोट भी नहीं जुटा सका। इस हार का मुख्य कारण विपक्षी दलों द्वारा बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाना रहा, जिससे बसपा का वोट शेयर इकाई में सिमट गया।
मायावती और आकाश आनंद की चुनौती
पार्टी के युवा चेहरे आकाश आनंद की लोकसभा चुनाव में लांचिंग बेअसर साबित हुई। बसपा सुप्रीमो मायावती की लोकप्रियता का ग्राफ भी इस चुनाव में नीचे खिसकता नजर आया। बसपा का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला सबसे बड़ी चूक साबित हुआ, जिससे दलित वोट बैंक का नुकसान हुआ और 2014 के मुकाबले करीब दस फीसदी वोट अन्य दलों में खिसक गया।
चुनावी इतिहास और गठबंधन की स्थिति
2014 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा को किसी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी, हालांकि उसके 34 प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। 2019 में बसपा ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और 10 सीटों पर जीत हासिल की। इस बार के चुनाव में बसपा ने किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया और यही निर्णय पार्टी की हार का मुख्य कारण बना।
2004 और 2009 में बसपा का शानदार प्रदर्शन
2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 24.67 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 19 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2009 में बसपा का प्रदर्शन और बेहतर रहा, जब उसे 27.42 प्रतिशत वोट मिले और उसके 20 सांसद चुने गए। हालांकि 2014 के चुनाव में बसपा को 19.77 प्रतिशत वोट ही मिले और कोई सीट नहीं मिली।
आकाश आनंद का प्रभावहीन प्रचार
पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर और मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद का चुनाव प्रचार बेअसर रहा। उन्होंने अपनी पहली जनसभा नगीना में की, जहां आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी चंद्रशेखर आजाद रावण को निशाने पर लेना बड़ी चूक साबित हुआ। इससे दलित वोट बैंक चंद्रशेखर के पाले में चला गया। आकाश ने मथुरा, संतकबीरनगर, गोरखपुर, कौशांबी, सीतापुर और उन्नाव में भी प्रचार किया, लेकिन इनमें से किसी भी सीट पर बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर भी नहीं आ सके।
मायावती की सियासी पारी पर मंडराया खतरा
मायावती ने 26 जिलों में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया, लेकिन बसपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इससे मायावती की सियासी पारी पर खतरा मंडराने लगा है। जानकारों के अनुसार, मायावती की लोकप्रियता का गिरता ग्राफ आजाद समाज पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है और दलित वोट बैंक अब तेजी से उसके पाले में जा सकता है।
सपा की सेंध
लोकसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार, बसपा की सीटों पर सबसे ज्यादा सेंध सपा ने लगाई है। सपा ने श्रावस्ती, अंबेडकरनगर, जौनपुर, लालगंज, गाजीपुर और घोसी सीटों पर कब्जा जमाया है। कांग्रेस ने सहारनपुर और अमरोहा सीटों पर जीत हासिल की, जबकि बिजनौर में रालोद और नगीना में आजाद समाज पार्टी ने जीत दर्ज की। हैरानी की बात यह है कि भाजपा को बसपा की किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली।
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राष्ट्रीय स्तर पर वोट शेयर
बसपा ने यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन उसे केवल 2.06 प्रतिशत वोट ही मिले हैं। इस खराब प्रदर्शन के चलते बसपा की स्थिति और कमजोर हो गई है।
इस प्रकार, बसपा की रणनीतिक चूकें और विपक्षी दलों की सेंधमारी ने इस बार के चुनाव में पार्टी की स्थिति को और कमजोर कर दिया है, जिससे मायावती की सियासी भविष्य भी अनिश्चितता के दौर में प्रवेश कर गया है।
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