कानपुर देहात में यमुना का जलस्तर घटा, पर मुश्किलें अब भी बरकरार
कानपुर देहात । जिले की दक्षिणी सीमा पर उफनाई यमुना
नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा अब कम हो गया है।
हालांकि, बाढ़ प्रभावित गांवों में लोगों की मुश्किलें अब भी बनी हुई
हैं। आढ़न और पथार गांव के रास्तों में पानी भरे होने के कारण लोगों को आने-जाने के
लिए अभी भी नावों का सहारा लेना पड़ रहा है।
यमुना नदी के इस बार पांचवी बार उफान
मारने से आढ़न, पथार, मुसरिया, कुंभापुर, नगीना, नयापुरवा, भुंडा, और चपरघटा जैसे गांव टापू की तरह बन गए
थे। यमुना का पानी सेंगुरगु नदी में वापस आने से इन गांवों का सड़क संपर्क पूरी तरह
से कट गया था। गांवों के रास्तों में लगभग 20
फुट तक पानी भर गया था, जिससे
लोगों को केवल नाव के जरिए ही अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा था।
रविवार से यमुना का जलस्तर घटना शुरू
हुआ, जिससे कुछ राहत मिली है। जलस्तर में कमी आने के बाद तटवर्ती
गांवों के लोगों ने चैन की सांस ली, लेकिन आढ़न और पथार का सड़क मार्ग अब भी
पानी में डूबा हुआ है। इसी कारण इन गांवों के लोगों को नावों का सहारा लेकर ही
आवागमन करना पड़ रहा है।
सिर्फ आवागमन ही नहीं, बल्कि
इन गांवों में बिजली आपूर्ति भी अभी तक पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाई है। नगीना, बम्हरौली, पथार, आढ़न, रसूलपुर, कुंभापुर, भुंडा, और
क्योटरा बांगर जैसे गांवों की बिजली व्यवस्था बाढ़ के बाद से ठप है।
किसानों की फसलें भी बुरी तरह प्रभावित
हुई हैं। ज्वार, बाजरा, तिली, और अरहर की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो
चुकी हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी नुकसान हुआ है। साथ ही, मवेशियों
के लिए चारे का भी गंभीर संकट बना हुआ है।
केंद्रीय जल आयोग के कालपी स्थित केंद्र
के शिफ्ट प्रभारी सौरभ यादव और रूपेश ने जानकारी दी कि यमुना का जलस्तर 4 से
5 सेंटीमीटर
प्रति घंटे की रफ्तार से घट रहा है। सोमवार सुबह 7 बजे तक यमुना का जलस्तर 107.40 मीटर
दर्ज किया गया। हालांकि, जलस्तर में गिरावट जारी है, लेकिन
स्थिति सामान्य होने में अभी कुछ और समय लग सकता है।
बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग जल्द से
जल्द स्थिति के सामान्य होने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि उनका जीवन वापस पटरी पर आ सके।
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