कानपुर देहात की फोम फैक्ट्री में भीषण आग, छह मजदूरों की मौत से प्रशासन पर उठे सवाल
कानपुर देहात के रनियां इलाके में शनिवार सुबह एक फोम गद्दा फैक्ट्री में भीषण आग लगने से छह मजदूरों की जान चली गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं। इस दर्दनाक घटना ने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया और प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुआ हादसा?
कानपुर के स्वरूप नगर निवासी अजय अग्रवाल की "पॉलीपैक" नाम से रनियां, खानचंद्रपुर में एक फोम गद्दा फैक्ट्री है। शनिवार सुबह करीब 7 बजे मजदूर अपने काम में लगे थे कि अचानक फैक्ट्री में फोम ने आग पकड़ ली। फोम अत्यधिक ज्वलनशील होता है, जिससे आग ने तेजी से विकराल रूप धारण कर लिया। मजदूरों को संभलने का मौका तक नहीं मिला और कई लोग आग की चपेट में आ गए। इस हादसे में रोहित, सुरेंद्र, अजीत, उनके भाई शिवम, विशाल, रवि और अमित बुरी तरह झुलस गए।
तीन शव मलबे से मिले
फैक्ट्री में लगी आग के बाद दमकल विभाग ने घंटों मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। सर्च ऑपरेशन में तीन मजदूरों के जले हुए शव मलबे के नीचे दबे मिले। इनमें लवकुश, उनके ममेरे भाई प्रांशु और 17 वर्षीय मनोज शामिल थे। शव इतनी बुरी तरह जल चुके थे कि केवल हड्डियां ही शेष रह गई थीं। इनकी पहचान के लिए अब डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।
इलाज के दौरान तीन की मौत
90 प्रतिशत तक झुलसे विशाल और अमित को तुरंत कानपुर के उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान अमित ने दम तोड़ दिया। इसके बाद, गंभीर स्थिति में विशाल और अजीत को लखनऊ रेफर किया गया, लेकिन वहां पहुंचने में हुई देरी के कारण दोनों की भी मौत हो गई। विशाल के भाई जगदीश ने बताया कि रास्ते में उन्नाव और लखनऊ के बीच जाम में फंसने के कारण इलाज मिलने में देरी हुई, जो उनकी मौत का कारण बनी।
बिना फायर एनओसी के कैसे चल रही थी फैक्ट्री?
इस पूरी घटना में सबसे बड़ा सवाल यह है कि फैक्ट्री बिना फायर एनओसी के कैसे चल रही थी? यह फैक्ट्री बिना किसी अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र के संचालित हो रही थी, जो एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। स्थानीय प्रशासन की इस ढिलाई का नतीजा मजदूरों की जानें चली जाने के रूप में सामने आया है। सवाल उठता है कि अगर समय पर फैक्ट्री की जांच और उचित कार्रवाई की गई होती, तो क्या यह हादसा टल सकता था?
प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना के बाद जिला प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर क्यों फैक्ट्री पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी? क्या प्रशासन इस तरह की त्रासदी के इंतजार में था? यह घटना केवल फैक्ट्री मालिक की लापरवाही का परिणाम नहीं है, बल्कि प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है कि बिना फायर एनओसी के कोई भी उद्योग कैसे संचालित हो सकता है।
मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता
कानपुर देहात के डीएम आलोक सिंह ने कहा कि मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाएगी, लेकिन यह सहायता उन परिवारों के लिए खोए हुए लोगों की भरपाई नहीं कर सकती। मजदूरों की मौत के बाद सवाल यह है कि क्या प्रशासन अब जागेगा और ऐसी फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई करेगा?
यह हादसा एक दुखद घटना है, लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को समझेगा? इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानपुर देहात में फैक्ट्रियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक ढिलाई बरती जा रही है, जो मजदूरों की जान के लिए गंभीर खतरा है।
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