कर्मयोगी आबासाहेब: एक प्रेरणादायक जीवन पर आधारित फिल्म ने मचाई धूम
मुंबई। महाराष्ट्र के सांगोला क्षेत्र से 11 बार विधायक रहे स्वर्गीय गणपतराव देशमुख उर्फ आबासाहेब के जीवन पर आधारित मराठी फिल्म कर्मयोगी आबासाहेब ने दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी है। इस फिल्म को अल्ताफ दादासाहेब शेख ने लिखा और निर्देशित किया है। रिलीज के चौथे सप्ताह में भी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपनी धाक बनाए हुए है। 22 दिनों में 23 करोड़ 19 लाख रुपये की कमाई कर फिल्म ने बड़े बजट की बॉलीवुड फिल्मों को टक्कर दी है।
फिल्म का विषय और सफलता
कर्मयोगी आबासाहेब स्वर्गीय गणपतराव देशमुख के संघर्षमय जीवन और उनके राजनीतिक योगदान को फिल्मी पर्दे पर उतारती है। सांगोला के इस जननेता ने 55 वर्षों तक अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और जनता के दिलों में अपनी खास जगह बनाई।
इस फिल्म में गणपतराव देशमुख की भूमिका अनिकेत विश्वासराय ने निभाई है। अनिकेत की अदाकारी को दर्शकों ने खूब सराहा है। अपनी सशक्त कहानी और प्रभावशाली संवादों के चलते यह फिल्म न सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है।
फिल्म निर्माण और उपलब्धियां
फिल्म का निर्माण मायाका माउली फिल्म प्रोडक्शन और मुंबई क्रिएशन एंटरटेनमेंट के तहत बालासाहेब महादेव एरांडे और मारुति तुलसीराम बनकर ने किया है। इसका संगीत प्रसिद्ध गायक और संगीतकार अवधूत गुप्ते ने दिया है। गाने कुणाल गांजावाला और अवधूत गुप्ते की आवाज में हैं, जो दर्शकों को खूब पसंद आ रहे हैं।
फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खूब सराहा गया। इसे एम्स्टर्डम लिफ्ट-ऑफ और क्राउनवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और हाई रेंज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली।
कलाकारों की मेहनत
फिल्म में अनिकेत विश्वासराय के अलावा हार्दिक जोशी, देविका दफ्तरदार, विजय पाटकर, सुरेश विश्वकर्मा, अरबाज शेख, तानाजी गलगुंडे और घनश्याम दरोड़े जैसे कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं से जान फूंक दी है। निर्देशक अल्ताफ शेख ने इन कलाकारों से बेहतरीन काम करवाकर फिल्म को दर्शकों के लिए यादगार बना दिया है।
आबासाहेब के संघर्ष को जीवंत किया
फिल्म में आबासाहेब के संघर्ष और उनकी सादगी को बखूबी दिखाया गया है। सांगोला के एक साधारण परिवार से निकलकर 11 बार विधायक बनने तक की उनकी यात्रा प्रेरणा से भरपूर है। अल्ताफ शेख ने इस कहानी को बड़े ही प्रभावशाली तरीके से पेश किया है।
भविष्य में उम्मीदें
कर्मयोगी आबासाहेब ने मराठी सिनेमा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इस फिल्म की सफलता ने साबित कर दिया है कि अगर कहानी दमदार हो तो दर्शक बड़े बजट की फिल्मों के बजाय अच्छे कंटेंट को प्राथमिकता देते हैं।
फिल्म अब भी सिनेमाघरों में दर्शकों को अपनी ओर खींच रही है। निर्देशक अल्ताफ शेख ने अपनी पिछली फिल्म वेडा बीएफ के बाद एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनकी कहानी कहने की शैली हर बार नया इतिहास रच सकती है।
कर्मयोगी आबासाहेब केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक जीवन की गाथा है, जिसने मराठी सिनेमा में नई जान फूंक दी है। दर्शकों के दिलों में जगह बनाते हुए यह फिल्म आने वाले समय में और भी कीर्तिमान स्थापित कर सकती है।
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