खुदी पड़ी सड़क ने खोली विकास की पोल: ठेकेदार की मनमानी और प्रशासन की गहरी नींद का नतीजा
अमरौधा ब्लॉक, तहसील भोगनीपुर (कानपुर देहात)
कहते हैं, सड़कें विकास की नब्ज होती हैं। लेकिन अगर यही सड़कें खुदी पड़ी रहें और हादसों का गड्ढा बन जाएं, तो इसे विकास का मखौल कहना गलत नहीं होगा। अमरौधा ब्लॉक के अटवा और बंदीपुरवा के बीच करीब 1 किलोमीटर की सड़क पिछले एक महीने से ठेकेदार की मनमानी और प्रशासन की लापरवाही का शिकार बनी हुई है। हालत इतनी खराब है कि सड़क अब लोगों के लिए दुर्घटनाओं का केंद्र बन चुकी है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।
ठेकेदार की मनमानी या सरकार की नाकामी?
यह सड़क न केवल ग्रामीणों की उम्मीदों को कुचल रही है, बल्कि रोजाना कई लोगों को अस्पताल भेजने का काम कर रही है। ठेकेदार ने सड़क को खोद तो दिया, लेकिन उसके बाद से यह काम ठप पड़ा हुआ है। हर दिन यहां से गुजरने वाले लोगों को ऐसा लगता है, मानो वह सड़क पर नहीं, बल्कि मौत के मुंह से होकर गुजर रहे हों।
क्या ठेकेदार इस सड़क का काम पूरा करने के लिए किसी स्वर्गीय आदेश का इंतजार कर रहा है? या फिर यह मामला ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत का हिस्सा है?
अधिकारियों की खामोशी: क्या कीमत लगी है इस चुप्पी की?
सड़क निर्माण का यह हाल देख ऐसा लगता है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने जनता की तकलीफों के बदले अपनी "जेबें गर्म" करने का फैसला कर लिया है। सड़क पर खुदे गड्ढे हादसों को न्योता दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई हलचल नहीं। क्या अधिकारी इन हादसों का हिसाब देंगे?
गांववालों की परेशानी पर किसी को फर्क नहीं
10 से 12 गांवों के लोग इस सड़क का इस्तेमाल करते हैं। उनके लिए यह एक जरूरी मार्ग था, लेकिन अब यह उनके लिए रोजाना की परेशानी और डर बन चुका है। बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं, बुजुर्ग घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करते, और जो लोग इस रास्ते से गुजरते हैं, वे हादसे का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
कब जागेगा प्रशासन?
1. ठेकेदार से सवाल: सड़क निर्माण का काम कब पूरा करेंगे? क्या जनता का गुस्सा बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं?
2. अधिकारियों से सवाल: क्या आपकी जिम्मेदारी सिर्फ कागजों में हस्ताक्षर करने तक सीमित है? जनता की तकलीफों पर चुप्पी क्यों?
3. सरकार से सवाल: क्या यही है आपकी "हर गांव को सड़क" वाली नीति? क्या यह विकास है?
क्या अब किसी की जान जाने का इंतजार है?
गांववालों का कहना है कि सड़क का निर्माण जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए। यह सिर्फ सड़क नहीं, बल्कि उनकी जीवनरेखा है। लेकिन प्रशासन की उदासीनता और ठेकेदार की ढीठता इस सड़क को खतरनाक गड्ढे में बदल चुकी है।
सरकार और प्रशासन को चेतावनी दी जाती है कि अगर सड़क का निर्माण कार्य तुरंत शुरू नहीं हुआ, तो गांव के लोग आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। तब इसका जवाब देना न ठेकेदार के बस में होगा और न ही अधिकारियों के।
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