कानपुर देहात में चला ‘ओवरलोड’ ड्रामा — चालान कटे, गाड़ियाँ सीज हुईं, और ट्रक फिर फर्राटा मारते दिखे!
कानपुर देहात:
कहते हैं कि शासन-प्रशासन कभी सोता नहीं... लेकिन लगता है, कानपुर देहात का यातायात विभाग नींद में भी चालान काटता है और सीज करने का सपना देखता है! बीते दिनों पूरे जिले में ओवरलोड वाहनों के खिलाफ बड़ा अभियान चला। खबर आई — चालान कटे, कुछ गाड़ियाँ सीज हुईं। तस्वीरें खिंचवाई गईं, अधिकारियों ने गंभीर चेहरे बनाए, प्रेस नोट जारी हुआ। लेकिन जनाब, असली कहानी तो सड़क पर दिखी, जहां कार्रवाई के अगले ही दिन ओवरलोड ट्रक और डंपर पहले से भी ज्यादा तेज रफ्तार में फर्राटे मारते दिखे!
अब सवाल ये है कि जब इतना बड़ा अभियान चला, तो आखिर ये ओवरलोड गाड़ियाँ कहां से आ गईं? क्या ये कोई जादू है? या फिर प्रशासन का ‘एंट्री फीस’ वाला पुराना खेल? कार्रवाई के नाम पर दिखावा — दो-चार चालान, एकाध वाहन सीज और फिर ‘चलो बेटा, अगले महीने फिर फोटो खिंचवाएँगे।’
जनता कह रही है कि इन अभियानों से ज्यादा असर तो ताश के पत्तों की गड्डी फेंटने से होता है। सड़कें टूटी पड़ी हैं, ओवरलोड वाहनों का तांडव रोज़ होता है। हादसे होते हैं, मासूम मारे जाते हैं, लेकिन प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। और जब जूं रेंगती भी है, तो अधिकारियों के फोटोशूट के लिए!
सूत्रों की मानें तो चालान भी उसी का कटता है जो ‘पहले से सेटिंग’ नहीं कर पाता। बाकी गाड़ियाँ तो मानो VVIP पास लेकर चलती हैं। और मज़े की बात तो ये कि अभियान ख़त्म होते ही, वही ट्रक फिर रास्तों पर डंके की चोट पर निकल आते हैं — जैसे कह रहे हों, ‘तुम्हारा ड्रामा खत्म, अब हमारा शो शुरू।’
कभी-कभी तो लगता है कि प्रशासन और ओवरलोड माफिया में कोई मूक समझौता है — तुम फोटो खिंचवाओ, हम धंधा चलाएँ! आखिर, अभियान भी ज़रूरी है और महीने के ‘वसूली लक्ष्य’ भी।
तो भैया, कानपुर देहात में जब अगली बार ओवरलोड के खिलाफ अभियान की खबर आए, तो समझ लीजिए — फोटोशूट का मौसम आया है! ट्रक वाले भी जानते हैं कि ये सिर्फ़ एक इवेंट है। पहले चालान का डर, फिर आराम का समय। प्रशासन को सलाम, जिन्होंने ‘दिखावे की कार्रवाई’ को भी एक कला बना डाला है!
तो अगली बार जब सड़क पर ओवरलोड ट्रक दिखे, तो चौंकिए मत...
वो प्रशासन के अभियान की सफलता का जीता-जागता सबूत है!
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